कॉर्निंग, जो अपने स्क्रैच-प्रूफ गोरिल्ला ग्लास के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, अब भारत में दो बड़े निवेश कर रही है!
● चेन्नई में एक नई विनिर्माण इकाई की स्थापना हो रही है जहां स्मार्टफोन के लिए कवर ग्लास बनाए जाएंगे। इसका प्रोडक्शन 2025 के दूसरे हाफ से शुरू होगा।
मेड इन इंडिया' गोरिल्ला ग्लास होगा!
● हैदराबाद में कॉर्निंग एक फार्मास्यूटिकल्स सुविधा भी स्थापित कर रही है, जहां ग्लास ट्यूब और शीशियां बनाई जाएंगी, टीके को स्टोर करने के लिए। इसका प्रोडक्शन अगले साल के पहले आधे से शुरू हो जाएगा।
ये सब भारत इनोवेटिव ग्लास टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के तहत होगा, जो कॉर्निंग और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण दिग्गज ऑप्टिमस इंफ्राकॉम का एक संयुक्त उद्यम है। कॉर्निंग सुविधा के पहले चरण में 100 मिलियन डॉलर का निवेश कर रही है, जिसका ग्राउंड-ब्रेकिंग समारोह जून में हुआ था।
सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रवेश: वैश्विक तनाव और आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दे चलते हैं, सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत एक बड़ा खिलाड़ी बनने की तैयारी कर रहा है। और कॉर्निंग अब सेमीकंडक्टर कंपनियों के साथ बात कर रही है ताकि वो लेजर, डायरेक्शन सिस्टम और पैकेजिंग के लिए उच्च गुणवत्ता वाला ग्लास प्रदान कर सके।
एयरोस्पेस और रक्षा उद्योगों पर फोकस: एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र भी कॉर्निंग की प्राथमिकता सूची में हैं। भारत में उद्योगों में व्यापक स्थानीयकरण हो रहा है। उच्च शुद्धता वाला फ्यूज्ड सिलिका, जो कॉर्निंग बनाती है, ड्रोन, एयरोस्पेस और रक्षा अनुप्रयोगों में मांग बढ़ रही है।
ये सारे घटनाक्रम सिर्फ कॉर्निंग के लिए हैं, भारतीय अर्थव्यवस्था और नौकरी बाजार के लिए भी बहुत सकारात्मक हैं। प्रौद्योगिकी प्रगति और विनिर्माण क्षमताएं बढ़ेंगी, और नये अवसर पैदा होंगे।
ये निवेश महत्वपूर्ण क्यों है?
● नौकरी सृजन: नए सुविधाएं से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
● प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: उन्नत विनिर्माण तकनीक और प्रौद्योगिकी भारत में आएगी।
● मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा: स्थानीय विनिर्माण से आयात कम होंगे और निर्यात बढ़ेंगे।
● आपूर्ति श्रृंखला स्थिरता: वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान से बचने के लिए स्थानीय उत्पादन महत्वपूर्ण है।
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