सैकड़ों लोगों ने ग़ज़ा में हमास के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और हमास और इसराइल के बीच जंग ख़त्म करने और इस समूह के सत्ता से हटने की मांग की. !!
इस सप्ताह उत्तरी ग़ज़ा के बेत लाहिया में हुआ प्रदर्शन अक्तूबर 2023 से शुरू हुए जंग के बाद सबसे बड़ा हमास विरोधी प्रदर्शन था.
हमास के आलोचक एक्टिविस्टों द्वारा सोशल मीडिया पर जो वीडियो साझा किए गए हैं उसमें युवा लोग "हमास आउट" के नारे लगाते दिख रहे हैं.
ये प्रदर्शन, ग़ज़ा में क़रीब दो महीने तक के संघर्ष विराम के बाद इसराइली सैन्य अभियान के फिर से शुरू होने के बाद हुए हैं.
18 मार्च को जबसे इसराइल मिलिटरी ने हवाई हमले शुरू किए हैं, सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हज़ारों लोग विस्थापित हुए हैं.
इसराइल ने हमास पर संघर्ष विराम को बढ़ाने वाले नए अमेरिकी प्रस्ताव को ख़ारिज़ करने का आरोप लगाया है लेकिन हमास ने इसराइल पर जनवरी में हुए मूल समझौते से हटने का आरोप लगाया है.
बुधवार को एक बयान में हमास ने युद्ध फिर से शुरू करने के लिए इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू को ज़िम्मेदार ठहराया है.
उधर हमास समर्थकों ने इन प्रदर्शनों की अहमियत को कम करके दिखाने की कोशिश की और इसमें भाग लेने वालों को ग़द्दार क़रार दिया.
प्रदर्शनकारियों ने बीबीसी से कहा कि वे जंग से "तंग" आ चुके हैं.
बीबीसी अरबी के ग़ज़ा लाइफ़लाइन प्रोग्राम से बात करते हुए ग़ज़ा की निवासी फ़ातिमा रियाद अल आमरानी ने कहा, "हम सो नहीं सकते, खा नहीं सकते और यहां तक साफ़ पानी भी नहीं मिल सकता. यह एक सामान्य जीवन नहीं बल्कि अपमानजनक ज़िंदगी है. जिस भी शब्द में कहें, हम थक चुके हैं."
नाम न ज़ाहिर करते हुए ग़ज़ा के एक निवासी ने बीबीसी से कहा कि इस इलाक़े पर हमास का शासन जारी नहीं रह सकता, "हमास को ग़ज़ा से नियंत्रण छोड़ना होगा. हमने बहुत हिंसा और तबाही देख ली है. इस समय, हम इसराइल या पश्चिमी दुनिया से मुक़ाबला करने की स्थिति में नहीं है और लगता है कि पूरी दुनिया हमारे ख़िलाफ़ है."
एक अन्य निवासी ने अपनी पहचान उजागर किए बिना, प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बारे में बताया, "भूख़, ग़रीबी और मौतों की वजह से मैं इस प्रदर्शन में शामिल हुआ. मैंने अपना बेटा खोया और इसकी कोई भरपाई भी नहीं थी. हम एक नई मातृभूमि चाहते हैं.
फ़लस्तीन में इंडिपेंडेंट कमिशन फ़ॉर ह्यूमन राइट्स के डायरेक्टर जनरल डॉ. अम्मार ड्वीक ने कहा कि ऐसा लगता है कि ग़ज़ा में जिन हालात में लोग रह रहे हैं उसके बावजूद ये प्रदर्शन स्वतःस्फ़ूर्त और शांतिपूर्ण थे.
उन्होंने कहा, "लोग निराशा की हद तक पहुंच गए हैं और उनका मानना है कि अगर हमास नियंत्रण छोड़ता है तो इससे उनकी मानवीय मदद से जुड़ी मुश्किलें कम हो सकती हैं."
वॉशिंगटन में मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट में रिसर्चर डॉ. हसन नीम्नेह इस बात से सहमत दिखे कि हालांकि ये प्रदर्शन स्वतःस्फूर्त दिखाई दिए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वे भविष्य में ग़ज़ा पर किस ग्रुप का शासन देखना चाहते हैं.
एक फ़लस्तीनी एक्टिविस्ट अब्दुलहमीद अब्देल-आत्ती ने कहा कि अधिकांश प्रदर्शनकारी और प्रदर्शनों के आयोजक राजनीतिक रूप से स्वतंत्र युवा लोग हैं जिनका किसी राजनीतिक गुट से संबंध नहीं था.
ग़ज़ा से बाहर रह रहे ऐसे कई लोगों से बीबीसी ने बात की, जिनका कहना है कि इस प्रदर्शन में उनका हाथ था.
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